कोंकण का तीसरा भूत "देवचार "

Share:

                                          "देवचार "



नमस्कार दोस्तों ,    
  आज हम बात करने वाले है तीसरे पिशाच की.... कल का पोस्ट तो अपने पढ़ा ही होगा। ..... कल मैंने कृष्माण्ड के बारे में बताया था। ....... तो आज आप तीसरे पिशाच के बारे में पढ़ने वाले है..... उसका नाम है. ...
                          देवचार देवचार ये एक पॉवरफ़ुल और निरुपद्रवी पिशाच है.. ये कभी किसी को जान बुज के परेशान नहीं करता... देवचार भगवान महादेव की भक्ति करने वाला होता है... इसलिए आपको ऐसा सुनाने को नहीं मिलेगा की किसी आदमी को देवचार की बाधा हो गयी... 
 जो भी आदमी भगवान की मनसे पूजा पाठ करने वाला होता है.... मतलब की वो सद्वर्तनी होता है.. अपनी  जिंदगी में हमेशा अच्छे काम करता है। .. और जब ऐसा अच्छा सद्वर्तनी आदमी अपने मरते समय कुछ तीव्र और अतृप्त इच्छा प्रकट करता है तब उसकी मृत्यु के बाद  उसे देवचार पिशाचयोनि प्राप्त होने की संभावना होती है........    आप कभी कोंकण मे आये हो तो आप देख सकते है की यहाके लोगोने सम्पूर्ण श्रद्धा के साथ उनके मंदिर बनवाये है... उसमे उनकी पूजा होती है.. इससे ये साबित होता है की देवचार निरूपद्रवी है....  देवचार का स्थान वड के पेड़ पे होता है...  ये इंसानो की मदत करते है.. जब भी कोई इंसान रात को अकेला कही फास जाता है या रास्ता  भूल जाता है तो देवचार  खुद आके उस आदमी को उसकी मंजिल तक छोड़ता है.. ये कहावत नहीं है.. ये बिलकुल सच बात है...   यहाँपे में अपना अनुभव आपको बताना चाहूंगा। ..... १७ सितम्बर २०१३ , मुझे अपने घर पहुचने को रात के १० बजने वाले थे..... मगर तेज बारिश की वजह से मुझे वहासे निकलने में देरी हो गयी.. में जिस रास्ते से जाने वाला था वहाँ कोई घर नहीं थे, ३० km का रास्ता था वो... १० km जाने के बाद मेरी गाडी अचानक से बंद हो गयी.. वहां तो पूरा जंगल था और वह घर न होने के कारन वहा लोग भी नहीं मिलते की जिनसे में मदद ले लू... मैंने बहुत कोशिश की , मगर गाड़ी स्टार्ट ही नहीं हो रही थी... में २० मिनट उस जंगल में अकेला था। .. जैसे टाइम बढ़ रहा था वैसे वैसे मेरा डर और बढ़ते जा रहा था। ... वहापे नेट्वर्क भी नहीं था की उससे में किसी की मदद ले लू... तब अलग अलग आवाज आना चालू हुआ था , तब तो में पूरी तरह से डर गया.... मुह से भगवान का नाम लेना  चालु किया , तब ही मेरे पीछे से कोई लालटेन और काठी हाथ में लेके मेरे पास आता हुआ दिखा। ..... पहले तो में डर गया और भागने का सोच रहा था मगर तब ही उन्होंने मुझे बोला की  " बेटा डरो मत, तुम अपनी गाडी हाथ में लेके मेरे पीछे आओ... तुम्हारी गाडी शुरू हो जाएगी... इतनी  रात को मत घूम करो...      मेरे पास दूसरा कोई चारा नहीं था तो में उनके पीछे चलने लगा.. थोड़ा आगे जा के उन्होंने बोला की " अब तुम यहासे  से जा सकते हो... गाडी चालू करो.. " इतना बोलके वे पीछे आ गए। ... मैंने स्टार्टर मारा तो गाडी चालू हो गयी..... मैंने उनका शुक्रिया करने को पीछे देखा तो वो बहुत दूर दिखे। ..हाथ में लालटेन लेके जा रहे थे। ... में सोच रहा था की एतने  जल्दी वे वहा  कैसे पहुचे। .... अब तो मेरी वहा रुकने की हिम्मत ही नहीं थी.. घरपे आके सब मैंने बताया तो सब बोले की देवचार ने मुझे रास्ता दिखाया था.... ये सुनाने  में दो राते ठीक से सो नहीं पा  रहा था। .......   देवचार को नवस बोलने की प्रथा यहाँ है... और वो नवस पूरा भी करता है ऐसा लोगोंका मानना है... मगर वो चाहे तो घर में अशांति पैदा कर सकता है.. और घर की अशांति दूर भी कर सकता है...    नवस करते समय जो भी आपने उसे देने का वादा किया होगा ,वो नवस पूरा होने के बाद अपने उसे नहीं दिया तो वो आपको उपद्रव कर सकता है....... 



कल मिलते है नए पिशाच के साथ.....      


check out my video on youtube...


                                                  
                                                  धन्यवाद..... 

No comments